नई दिल्ली. भारतीय संविधान में सरकारी नौकरी में पदोन्नति लेने के लिए कुछ नियम कानून बनाए हैं. पदोन्नति लेने के लिए इन नियमों का पालन करना बहुत जरुरी है. अगर इन कानूनों को नजरअंदाज किया जाता है तो वो जुर्म है. ये कहना है राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला का.
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दरअसल हाल ही में पंजाब में पीपीएस से आईपीएस अफसरों की पदोन्नति का मामला सामने आया है. पंजाब में जिन अफसरों को पदोन्नति दी हई है उनमें से कोई भी दलित नहीं है. विभाग ने कुल 24 अफसरों को प्रमोट किया है. पदोन्नति के मामले पर अब राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग ने भी संज्ञान लिया है.
उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में जिन अफसरों ने केंद्र सरकार के प्रमोशन के रुल एवं पंजाब सरकार के पंजाब शेड्यूल कास्ट एंड बैकवर्ड क्लास (रिजर्वेशन इन सर्विसेस) अमेंडमेंट एक्स 2018 को नजरअंदाज किया है उनकी जांच कर आयोग सख्त कार्रवाई करेगा.
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इस मामले पर आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला द्वारा आदेश दिए जाने के बाद पंजाब सरकार को इस मामले पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. आयोग ने डीजीपी पंजाब पुलिस को भी नोटिस भेजा है. आयोग का कहना है कि अफसरों को पदोन्नति दिए जाने की प्रक्रिया मे आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया है.
अप्रैल में हुई पदोन्नति
इसी साल अप्रैल में पंजाब पुलिस के 24 अफसरों की पदोन्नति की गई है. विभाग के 24 पीपीएस अफसरों को आईपीएस बनाकर पदोन्नति दी गई. मगर आरक्षण नीति के नियमों का ख्याल नहीं रखा गया. हर नियम का उल्लंघन किया गया है. 24 अफसरों की लिस्ट में कोई भी अफसर दलित नहीं है.
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दरअसल पदोन्नति करते हुए नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए सुशील कुमार ने शिकायत की है. इसी शिकायत के बाद आयोग ने मामले पर संज्ञान लिया है. आयोग ने सभी संबंधित विभागों से पूछा है कि मामले पर अबतक क्या कार्रवाई की गई है. इसकी जानकारी विभागों को आयोग को देनी होगी. आगामी 15 दिनों में आयोग को जानकारी देनी होगी.
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